
उत्तराखंड के मतदाताओं में राज्य व केंद्र सरकारों के लिए विधायक-सांसद नहीं बल्कि अपने शहर-मोहल्ले के मेयर-पार्षद चुनने में ज्यादा दिलचस्पी है। राज्य के पिछले तीन निकाय चुनावों में मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है। उधर, भारत निर्वाचन आयोग के लिए लोकसभा, विधानसभा का मतदान प्रतिशत चिंता का विषय बना हुआ है।
पिछले तीन चुनावों में निकायों के मतदान प्रतिशत पर नजर डालें तो उत्साह साफ नजर आता है। 2008 के चुनाव में राज्य में 60 प्रतिशत, 2013 के चुनाव में 61 प्रतिशत और 2018 के चुनाव में 69.79 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं, लोकसभा चुनाव 2004 में 49.25 प्रतिशत, 2009 में 53.96, 2014 में 62.15, 2019 में 61.50 और 2023 में 57.24 प्रतिशत मतदान हुआ था। विधानसभा की बात करें तो 2002 के विधानसभा चुनाव में 54.34, 2007 के चुनाव में 59.45, 2012 में 67.22, 2017 में 65.56 और 2022 के चुनाव में 65.37 प्रतिशत मतदान हुआ था।
भारत निर्वाचन आयोग लगातार मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। सालभर की गतिविधियां तय की गई हैं। जागरूकता का हर जतन किया जा रहा है। मतदाता बनाने का काम भी सालभर किया जा रहा है। बावजूद इसके विधानसभा-लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत का उत्साह बढ़ नहीं रहा है। वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़े उत्साहजनक हैं। निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना है कि इस बार भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को अतिरिक्त प्रयास, जागरूकता बढ़ाने को कहा गया है।