
सामरिक सहित चारधाम यात्रा और आपदा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण चिन्याली हवाई पट्टी लंबे समय से अपने विस्तारीकरण और विकास का राह देख रही है। तो वहीं यह भारत-चीन सीमा के दृष्टिकोण से सेना और वायुसेना भी कई बार इसके विकास की मांग कर चुकी है।
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सामरिक सहित चारधाम यात्रा और आपदा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण चिन्याली हवाई पट्टी लंबे समय से अपने विस्तारीकरण और विकास का राह देख रही है। तो वहीं यह भारत-चीन सीमा के दृष्टिकोण से सेना और वायुसेना भी कई बार इसके विकास की मांग कर चुकी है।
विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास
वर्ष 2013 में उत्तराखंड सरकार ने हवाई पट्टी को हवाई अड्डे में उच्चीकृत करने के लिए 46 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया था, जिसमे हवाई अड्डे के रनवे की लंबाई 1165 मीटर और चौड़ाई 30 मीटर बढ़ाई गई। साथ ही एटीसी टावर, टर्मिनल भवन, विद्युत स्टेशन और अन्य कार्य किए। लेकिन अभी भी टैक्सी स्टैंड, रनवे के दोनों ओर समतलीकरण कार्य सहित अन्य कार्य अधूरे हैं।
वहीं वायुसेना यहां पर हर वर्ष अपने लड़ाकू विमान के साथ ही मालवाहक विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास करता है। सेना के कई महत्वपूर्ण हेलीकॅप्टर भी यहां पर उतरते हैं। साथ ही यहां पर प्रदेश सरकार की ओर हेली सेवा भी चलाई गई थी। सामरिक दृष्टिकोण से वायुसेना भी इसके विकास की मांग कर चुकी है।
पूर्व प्रमुख बलबीर सिंह बिष्ट, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शूरवीर रांगड, पूर्ण सिंह बिष्ट, सतपाल बिष्ट आदि ने कहा कि जिस प्रयोजन के लिए सरकार ने हवाई अड्डे का निर्माण किया था। उसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। शीतकालीन प्रवास मुखबा में नरेंद्र मोदी को आने से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के लिए चारधाम यात्रा के लिए अंतरराज्यीय हवाई जहाज सेवा शुरू होने की उम्मीद जगी है।