
उत्तराखंड सरकार शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में न्यूनतम शिक्षा गुणवत्ता मानकों के पालन को सुनिश्चित करने हेतु राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण के गठन की तैयारी चल रही है। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने अध्ययन के बाद शासन को प्रस्ताव भेज दिया है।
अपर शिक्षा निदेशक पदमेंद्र सकलानी ने बताया कि इस प्राधिकरण का गठन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुरूप किया जाएगा। नीति के अनुसार, राज्य स्तर पर एक स्वतंत्र निकाय बनाया जाएगा जो विद्यालयों में व्यावसायिक और गुणवत्ता के न्यूनतम मानकों को लागू करेगा। इनमें सुरक्षा, बचाव, आधारभूत संरचना, कक्षाओं और विषयों के अनुसार शिक्षकों की संख्या आदि मानदंड शामिल होंगे।
प्राधिकरण के अध्यक्ष और सदस्य
प्रस्ताव के मुताबिक, प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में शिक्षा क्षेत्र के अनुभवी शिक्षाविद, सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी या न्यायाधीश को नियुक्त किया जाएगा। इसके सदस्य होंगे:
- महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा
- निदेशक एससीईआरटी
- निदेशक एनआईसी
- क्षेत्रीय निदेशक सीबीएसई
- अपर निदेशक एससीईआरटी
- संयुक्त निदेशक शिक्षा महानिदेशालय
- शासन की ओर से आईसीएसई और सीबीएसई से जुड़े निजी विद्यालयों के नामित प्रधानाचार्य
- विद्यालय भारती स्कूल के निरीक्षक
- शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत नामित गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि
स्कूलों के लिए न्यूनतम मानक और पारदर्शिता सुनिश्चित
उत्तराखंड में लगभग 21,897 स्कूल हैं, जिनमें 16,501 सरकारी और 5,396 निजी विद्यालय शामिल हैं। प्राधिकरण इन सभी स्कूलों में शिक्षा के न्यूनतम मानकों को निर्धारित करेगा। इसके अलावा, विद्यालयों को अपनी फीस संरचना, पढ़ाए जाने वाले विषयों और अन्य आवश्यक जानकारियों को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। निजी स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का निर्धारण भी इस प्राधिकरण के दायरे में होगा।
अर्द्ध न्यायिक आयोग के रूप में कार्य करेगा प्राधिकरण
यह प्राधिकरण एक अर्द्ध न्यायिक आयोग होगा, जो विद्यालयों की मान्यता की शर्तों को तय करेगा, पालन कराने के साथ ही शिकायतों की जांच भी करेगा। यदि कोई स्कूल मानकों का उल्लंघन करता है तो प्राधिकरण उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए उसकी मान्यता रद्द भी कर सकता है और जुर्माना भी लगा सकता है।
प्रस्ताव की वर्तमान स्थिति
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने यह प्रस्ताव वर्ष 2022 में शासन को भेजा था, लेकिन शासन ने इसे वापस शिक्षा निदेशालय को भेजा था। अब इसे पुनः शासन को भेजा गया है और शीघ्र ही शासन में प्रस्ताव की समीक्षा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
पदमेंद्र सकलानी ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किए गए सभी मानकों का पालन प्रदेश के सरकारी और निजी विद्यालयों द्वारा करना अनिवार्य होगा, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा और बच्चों को बेहतर शैक्षिक माहौल मिलेगा।