
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार अगले महीने अपने तीसरे कार्यकाल का एक साल पूरा करने जा रही है. इस अवसर पर सरकार द्वारा पिछले एक वर्ष में किए गए कार्यों और नीतियों का आकलन करना महत्वपूर्ण है.
तीसरी बार सत्ता में आने के बाद, सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों सहित सभी वर्गों के कल्याण के लिए कई पहल की हैं. ये पहल सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं. इन योजनाओं के माध्यम से कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया गया है.
आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख: कल्याणकारी पहलों के साथ-साथ, प्रधानमंत्री मोदी ने कई बड़ी पहल की हैं, जिन्होंने दुनिया भर में भारत सरकार की ताकत का प्रदर्शन किया है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को जारी रखते हुए, सरकार ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मद्देनजर “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया.
ऑपरेशन सिंदूर पर प्रकाश डालते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि यह मिशन आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख को रेखांकित करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की किसी भी कोशिश का उसी भाषा में कड़ा जवाब दिया जाएगा और जो लोग भारत को चुनौती देने की हिम्मत करेंगे, उन्हें किसी भी कीमत पर परिणाम भुगतने होंगे. इस बयान ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा.
सिंधु जल संधि पर रुख: भारत ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को लगातार समर्थन दिए जाने के कारण सिंधु जल संधि को भी “स्थगित” रखा है. सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि दशकों पुरानी संधि तब तक स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता. यह निर्णय पाकिस्तान पर आतंकवाद को रोकने के लिए दबाव बनाने का एक रणनीति है और दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद को हल्के में नहीं लेगा.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, मोदी सरकार द्वारा बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल (Multi-Party Delegation) भेजने के फैसले को वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को उसके कृत्यों के लिए घेरने के लिए एक “मास्टर स्ट्रोक” के रूप में देखा जा रहा है. इस तरह के राजनयिक प्रयास पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग पड़ने का खतरा बढ़ा सकते हैं.
महत्वपूर्ण नीतिगत पहल: वक्फ संशोधन अधिनियम भी मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है, हालांकि विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया. इसके साथ ही, मोदी सरकार का ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का नारा भी एक दूरदर्शी कदम है, जिसे लागू करने की प्रक्रिया जारी है. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की पहल का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और बार-बार होने वाले चुनावों के कारण होने वाले व्यय को कम करना है.
आर्थिक मोर्चे पर प्रगति: आर्थिक मोर्चे पर, मोदी के नेतृत्व में भारत अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. अन्य पहलों में, सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू की गई राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) शामिल है. यह उपलब्धि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों को दर्शाती है.
वैश्विक व्यापार में विस्तार: विदेशी व्यापार के क्षेत्र में, हाल ही में भारत और ब्रिटेन की सरकार ने दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप दिया है, जिसका उद्देश्य 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 120 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है. इसके अलावा, भारत इसी तरह की बात पर संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत कर रहा है. ये मुक्त व्यापार समझौते भारत के निर्यात को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
भारत-चीन संबंध और सीमा समझौता: भारत-चीन संबंधों पर, सीमा गश्त समझौते पर सहमत होकर दोनों देशों द्वारा एक बड़ी पहल की गई. यह निर्णय 2020 में गलवान संघर्ष के बाद एक महत्वपूर्ण कदम है. इस समझौते का उद्देश्य सीमा पर शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना तथा भविष्य में किसी भी प्रकार के टकराव से बचना है.