
Post Mortem in Aiims Rishikesh
Post Mortem in Aiims Rishikesh- बगैर चीर-फाड़ के अब शव का पोस्टमार्टम होगा, एम्स ऋषिकेश ने पोस्टमार्टम की नई विधि ईजाद की है, इसमें लेप्रोस्कोपी, एंडोस्कोपी और सीटी स्कैन के संयुक्त सहयोग से बिना चीर-फाड़ के पोस्ट मार्टम किया जा सकेगा, एम्स के विशेषज्ञों का दावा है कि यह विधि पारंपरिक विधि से ज्यादा सटीक है।
पारंपरिक विधि से पोस्टमार्टम के लिए शव को गले से पेट तक चीरना पड़ता है साथ ही सिर वाले हिस्से में भी चीर-फाड़ करनी पड़ती है, पोस्टमार्टम के लिए मृत शरीर की चीर-फाड़ से परिजनों की भावनाएं आहत होती हैं, जिससे कई बार परिजन पोस्टमार्टम के लिए इंकार भी करते हैं।
Post Mortem in Aiims Rishikesh- इन सब बातों को देखते हुए एम्स के विशेषज्ञों ने पोस्टमार्टम की एक नई विधि ईजाद की है, जिसे मिनिमली इनवेसिव ऑटोप्सी का नाम दिया गया है, एम्स के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के डाॅ. आशीष बताते हैं कि काफी समय से ऐसी कोशिशें चल रही थी कि पोस्टमार्टम के दौरान कम से कम चीर-फाड़ की जाए।
कई चिकित्सा संस्थानों में सीटी स्कैन के माध्यम से पोस्टमार्टम किया जा रहा है लेकिन कुछ मामलों में सीटी स्कैनर के बावजूद भी अंदरूनी जांच, विसरा और बाॅयोप्सी के लिए चीर-फाड़ करनी पड़ती है, ऐसे में विचार आया कि सीटी स्कैन के साथ लेप्रोस्कोपी और एंडोस्कोपी के माध्यम से पोस्टमार्टम कर सकते हैं, जिससे बिना चीर-फाड़ के आंतरिक अंगों का परीक्षण तथा बाॅयोप्सी की जा सकती है, इस विधि की शुरुआत करने के लिए विभागाध्यक्ष डॉ. बिनय बस्तियां और संस्थान की डायरेक्टर प्रोफेसर मीनू सिंह का पूरा सहयोग रहा।
Post Mortem in Aiims Rishikesh- क्या है मिनिमली इनवेसिव ऑटोप्सी
डाॅ. आशिष भूते बताते हैं कि इस तकनीक में सीटी स्कैन करने के बाद शव के आंतरिक अंगों की जांच के लिए मृत शरीर पर कुछ जगहों पर करीब दो-दो सेंटीमीटर के छिद्र किए जाते हैं, इन छेदों से लेप्रोस्कोपिक या एंंडोस्कोपिक दूरबीन डाली जाती है, पेट के अंदर के अंगों का परीक्षण कर सकते हैं, एंडोस्कोपी से अंगों की कैविटी को देखा जा सकता है, यौन संबंधी मामलों में गुप्तांगों के भीतर देखा जा सकता है, पहले इन अंगों के भीतरी भाग को देखने के लिए इन्हें काटना पड़ता था।
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