
कुंभ मेला 2021 के दौरान कोविड-19 आरटीपीसीआर और एंटीजन टेस्ट फर्जीवाड़े की परतें एक बार फिर खुलने जा रही हैं. एक तरफ मामले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर ईडी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है. वहीं दूसरी तरफ पुलिस जांच खुद संदेह के घेरे में आ गई है. आईजी गढ़वाल ने पुलिस जांच की रिपोर्ट तलब की है. इस बार लापरवाही पर जवाबदेही तय करने की तैयारी है.
ये है मामला: आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने बताया कि साल 2021 में कोरोना महामारी के दौरान कुंभ मेले में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को संक्रमण से बचाने के लिए राज्य सरकार ने आरटीपीसीआर (RT-PCR) जांच के लिए अलग-अलग पैथोलॉजी लैब को रखा था. इसमें मुख्य रूप से मैक्स कॉर्पोरेट सर्विस, डॉ लाल चंदानी प्राइवेट लिमिटेड, नॉक्स पैथोलॉजी, डीएनए लैब, नलवा लैबोरेट्रीज शामिल रही थीं. उस दौरान यह बात सामने आई थी कि इन लैब ने आरटीपीसीआर और एंटीजन जांच के लिए फर्जी व्यक्तियों की एंट्री की और सरकार से करोड़ों रुपए का भुगतान ले लिया.
इस संबध में जब शुरुआती जांच हुई तो कुंभ के दौरान एक लाख से अधिक जांच के रिकॉर्ड संदिग्ध पाए गए थे. जिसमें लैब ने तीन करोड़ रुपए से अधिक की राशि सरकार से धोखाधड़ी कर हड़प ली थी. जिसके बाद जांच में बड़ी गड़बड़ी पाए जाने पर पुलिस ने साल 2021 में मुकदमा दर्ज कर लिया था.
मामले में तीन करोड़ रुपए से अधिक के मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में पाते ही ईडी ने जांच शुरू की तो ईडी ने लैब संचालकों के देहरादून, दिल्ली, नोएडा और हिसार स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी. साथ ही आरोपियों के ठिकानों से 50 से 60 लाख रूपए की नकदी के साथ ही संपत्ति को अटैच करने की कार्रवाई की गई थी. जांच में सामने आया कि 15 लैबों के माध्यम से कोरोना जांच के नाम पर तीन करोड़ रुपए से अधिक का फर्जीवाड़ा हुआ था.
अभी तक की जांच के मुताबिक हरिद्वार-देहरादून में तीन मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें 14 आरोपी बनाए गए हैं. ईडी ने इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की चार्जशीट देहरादून की विशेष अदालत में दाखिल कर दी है. जिसमें मैक्स कॉर्पोरेट सहित 14 आरोपियों को नामजद किया गया है. साथ ही पुलिस जांच की रिपोर्ट तलब की है. इस बार लापरवाही पर जवाबदेही तय करने की तैयारी है.
– राजीव स्वरूप, आईजी गढ़वाल –
ऐसे आया था सच सामने: दरअसल, कुंभ मेला 2021 के दौरान हुए कोविड टेस्ट को लेकर पंजाब निवासी एक व्यक्ति को फोन किया गया था. बताया गया था कि उन्होंने हरिद्वार में जो कोरोना टेस्ट कराया था, उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है. लेकिन हैरानी की बात ये थी कि व्यक्ति कुंभ के दौरान न तो हरिद्वार आया था न ही उसने कोई टेस्ट कराया था. व्यक्ति ने मामले की शिकायत पंजाब के स्थानीय प्रशासन से की, लेकिन तब स्थानीय प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया.
इसके बाद व्यक्ति ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को मामले की शिकायत की. आईसीएमआर ने मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य सचिव से जवाब मांगा. स्वास्थ्य सचिव ने उस दौरान के हरिद्वार जिलाधिकारी को मामले की जांच के आदेश दिए. शुरुआती जांच में करीब एक लाख कोरोना टेस्ट संदेह के घेरे में आए.
जांच में सामने आया कि एक ही मोबाइल नंबर पर कोविड की सैकड़ों जांच की गई. जबकि कई जांच में एक ही आधार नंबर का प्रयोग किया गया है. होम सैंपल में भी फर्जीवाड़ा सामने आया. शुरुआती जांच में मामले में दिल्ली मैक्स कॉरपोरेट सर्विस, दिल्ली की लाल चंदानी एवं हिसार की नलवा लैब पर मुकदमा दर्ज किया गया. तत्कालीन हरिद्वार एसएसपी सेंथिल अबूदई कृष्णराज एस ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन किया था.
मामले में एसआईटी ने भिवानी की डेलफिशा लैब संचालक आशीष वशिष्ठ, मैक्स कॉर्पोरेट सर्विस के पार्टनर शरद पंत और मल्लिका पंत, हिसार की नलवा लैब के संचालक डॉ. नवतेज नलवा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. इसके बाद 7 नवंबर 2021 को फरार चल रहे दोनों मुख्य आरोपी शरत पंत और उसकी पत्नी मल्लिका पंत को दिल्ली आवास से गिरफ्तार किया गया था.